नाइट ब्लड सर्वे को लेकर स्वास्थ्यकमिर्यों को दिया गया प्रशिक्षण


--सात नवंबर से पहले नाइट ब्लड सर्वे का काम किया जाना है पूरा
-जिले में नाइट ब्लड सर्वे को लेकर 18 अक्टूबर है संभावित तिथि

बांका-
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जल्द ही नाइट ब्लड सर्वे का काम शुरू किया जाएगा। नाइट ब्लड सर्वे का काम 7 नवंबर से पहले किया जाना है। 18 अक्टूबर से जिले में इसकी शुरुआत हो सकती है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग तैयारी में जुट गया है। इसी सिलसिले में शुक्रवार को राजकीय फार्मेसी कॉलेज बांका में स्वास्थ्यकर्मियों और एलटी को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में सभी प्रखंड अस्पतालोंसे दो एलटी, बीसीएम और भीबीडीएस शामिल हुए। प्रशिक्षण देने का काम मास्टर ट्रेनर अमरपुर रेफरल अस्पताल के एलटी सुजय कुमार और चांदन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एलटी रौशन कुमार ने किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी, डीभीबीडीसीओ डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव, भीडीसीओ आरिफ इकबाल और केयर इंडिया के डीपीओ ओमप्रकाश नायक ने भी महत्वपूर्ण बात स्वास्थ्यकर्मियों को बताई। एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे का काम जल्द ही जिले में शुरू किया जाएगा। इसकी संभावित तिथि 18 अक्टूबर रखी गई है। इस दिन से जिले में नाइट ब्लड सर्वे का काम शुरू हो सकता है। इसकी तैयारी को लेकर शुक्रवार को प्रखंड अस्पतालों से आए प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें नाइट ब्लड सर्वे के दौरान किन बातों का ध्यान रखना है, इसके बारे में बताया गया।
सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाए गएः भीडीसीओ आरिफ इकबाल ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे को लेकर सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाए गए हैं। एक सेंटिनेल और दूसरा रैनडम  साइट। जहां पर फाइलेरिया के अधिक केस मिले हैं वहां पर सेंटिनेल साइट बनाए गए हैं। इसके अलावा वैसी जगहों पर भी साइट बनाए गए हैं, जहां पर फाइलेरिया के कम मरीज मिले हैं। ऐसी जगहों पर रैनडम साइट बनाए गए हैं। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान एक साइट पर 20 वर्ष से अधिक उम्र के 300 लोगों की जांच की जाएगी।  
फाइलेरिया के परजीवी रात में ही होते हैं सक्रियः डीभीबीडीसीओ डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां रात में लोगों के रक्त के नमूने लिये जाते हैं। इसे प्रयोगशाला भेजा जाता है और रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया का परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट पता चल पाता है। इससे फाइलेरिया के संभावित मरीज का समुचित इलाज किया जाता है। 
नियमित और उचित देखभाल जरूरीः डीभीबीडीसीओ डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित व उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इसमें आशा घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाती हैं।

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

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