-अब तक 200 कुष्ठ रोगियों की पुष्टि, अन्य लक्षण वालों की सघन जांच जारी
-जिले में 8 से 17 अक्टूबर तक चलाया गया कुष्ठ रोगी खोजी अभियान
बांका, 19 अक्टूबर। जिले में 8 से 17 अक्टूबर तक कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया गया। एलसीडीसी कार्यक्रम के तहत कुल 1688 खोजी दलों के माध्यम से 3,62,635 घरों में जाकर कुल 17,28,847 लोगों की शारीरिक परीक्षण कर 1531 लक्षण वाले कुष्ठ मरीजों की पहचान हुई। इसकी संपुष्टि स्थानीय सरकारी अस्पतालों में कुष्ठ कर्मियों के सहयोग से चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा की जाएगी । अभी तक कुल 618 लक्षण वाले मरीजों की सघन जांच की गई है, जिसमें 200 कुष्ठ रोगियों की पहचान हुई है। इन सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है। इनमें 143 पीवी और 57 एमवी मरीज हैं। सभी लक्षण वाले मरीजों की जांच के बाद यह संख्या और बढ़ सकती है। सबसे अधिक बांका प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत 80 मरीजों की पहचान हुई है। वहीं अमरपुर में सबसे कम एक मरीज अभी तक संपुष्ट हुए हैं। एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि अभियान के दौरान खोजी दल ने घर-घर जाकर लोगों के शारीरिक परीक्षण किए। खोजी दल में एक पुरुष और एक महिला को रखा गया था। पुरुष की जांच पुरुष ने की तो महिलाओं की जांच महिला ने की। महिला सदस्य के रूप में आशा कार्यकर्ता या फिर आंगनबाड़ी सेविका या सहायिका का चयन किया गया था। वहीं पुरुष के रूप में वॉलेंटियर का चयन हुआ था। सुपरवाइजर के रूप में आशा फैसिलिटेटर को लगाया गया था।
कुष्ठ के लक्षण वाले मरीज मिलने पर नजदीकि स्वास्थ्य केंद्र पर होगा इलाजः डॉ. चौधरी ने बताया कि अभियान के दौरान टीम के सदस्य को यदि किसी के शरीर पर दाग य धब्बा दिखाई पड़ा तो उनसे तीन सवाल पूछ रहे थे। पहला सवाल यह था कि दाग जन्म से तो नहीं है। दूसरा सवाल था दर्द भी करता है और तीसरा सवाल था खुजलाहट होती है क्या। अगर कुष्ठ के लक्षण वाला मरीज मिला तो उसकी जांच की गई। जांच में जिसके कुष्ठ होने की पुष्टि हुई उसका स्थानीय सरकारी अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है। गंभीर मरीजों का जिला कुष्ठ निवारण समिति में इलाज कराया जाएगा। जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल और अनुमंडल अस्पताल के साथ सदर अस्पताल व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुष्ठ रोगियों के इलाज की व्यवस्था है।
ज्यादा गंभीर मरीज मिलने पर इलाज के लिए भेजा जाएगा मुजफ्फरपुरः डॉ. चौधरी ने बताया कि अभियान के दौरान मिले कुष्ठ के लक्षण वाले मरीजों के सघन परीक्षण के बाद अगर कोई ज्यादा गंभीर मरीज मिलता है तो उसे इलाज के लिए टीएलएम अस्पताल मुजफ्फरपुर भेजा जाएगा। इलाज में मरीज को किसी भी तरह का खर्च नहीं आएगा। साथ ही इलाज के दौरान उन्हें जो आर्थिक नुकसान होगा, उसकी भरपाई के लिए आठ हजार रुपये सहायता राशि भी दी जाएगी। डॉ. चौधरी ने बताया कि ऐसे मरीज जो कि कुष्ठ होने की वजह से कोई भी काम करने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें 15 सौ रुपये प्रतिमाह पेंशन भी प्रशासनिक स्तर पर दिया जाता है। लोगों से मेरी अपील है कि इस अभियान में अपना सहयोग देकर जिले को कुष्ठ से मुक्त बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।
रिपोर्टर
Swapnil Mhaske
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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