-क्षेत्र में टीबी मरीजों की पहचान कर इलाज के लिए ले जाती हैं अस्पताल
-अब तक क्षेत्र के रहने वाले 15 से अधिक मरीजों का करा चुकी हैं इलाज
बांका, 27 अक्टूबर-
जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाना है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग तमाम तरह के कार्यक्रम चला रहा है। सरकार भी कई योजनाओं को चला रही है, लेकिन योजनाओं का लाभ लोगों को मिले इसके लिए जमीनी स्तर पर भी काम करना बहुत जरूरी होता है। अगर लोगों को योजनाओं की जानकारी नहीं हो तो वह उसका लाभ ही नहीं उठा पाएंगे। टीबी मरीजों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने में आशा कार्यकर्ता की भूमिका अहम हो जाती है। क्षेत्र में रहने के कारण आशा को लगभग सभी व्यक्ति के बारे में जानकारी होती है। इसलिए अगर आशा कार्यकर्ता मन से काम करे तो क्षेत्र को टीबी से मुक्त बनाया जा सकता है। जिले के कटोरिया प्रखंड के घोड़माड़ा गांव की रहने वाली आशा कार्यकर्ता खुर्शीदा खातून टीबी मरीजों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने में अहम रोल अदा कर रही हैं। इससे क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा पहुंच रहा है और टीबी से मुक्त होने की ओर भी कदम बढ़ रहा है। खुर्शीदा खातून अब तक 15 से अधिक टीबी मरीजों की पहचान कर अस्पताल पहुंचा चुकी हैं। इनमें से कई लोग अब ठीक भी हो चुके हैं।
मरीज की लगातार करती हूं निगरानीः खुर्शीदा खातून कहती हैं कि मेरा तो काम ही यही है। क्षेत्र के लोगों के बारे में जानकारी रखना और स्वास्थ्य से संबंधित जिन्हें जो परेशानी है, उसके समाधान में मैं अपना योगदान करती हूं। आशा कार्यकर्ता को लेकर जब भी कोई प्रशिक्षण होता है तो मैं उसमें भाग लेती और वहां से जो भी हासिल करती उस पर अमल करती हूं। टीबी के मरीजों के इलाज के बारे में जाना तो क्षेत्र में घूम-घूमकर पहचान करने लगी। अगर किसी को लगातार दो हफ्ते तक खांसी होती है या बलगम में खून आता या फिर लगातार बुखार रहता तो मैं उसे कटोरिया रेफरल अस्पताल लेकर जाती हूं। वहां एसटीएस सुनील कुमार से मिलवाती हूं। जांच में अगर वह टीबी का मरीज पुष्ट हो जाता तो उसके इलाज पर ध्यान देती हूं। लगातार निगरानी रखती हूं कि कहीं मरीज ने दवा खानी तो नहीं छोड़ दी । साथ में जब तक मरीज का इलाज चलता तब तक निक्षय योजना के तहत मिलने वाली राशि भी दिलाती हूं। इसका सुखद परिणाम मिल रहा है। क्षेत्र में तेजी से टीबी के मरीज ठीक हो रहे हैं।
अपना काम बेहतर तरीके से कर रही हैं खुर्शीदा खातूनः एसटीएस सुनील कुमार कहते हैं कि टीबी मरीजों की पहचान कर उसे अस्पताल तक लाने में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका काफी अहम होती है। कई आशा कार्यकर्ता इस काम को बखूबी कर भी रही हैं। खुर्शीदा खातून भी अपना काम बेहतर तरीके से कर रही हैं । अब तक काफी मरीजों को वह इलाज के लिए अस्पताल ला चुकी हैं । क्षेत्र के लोगों को भी इसका फायदा पहुंच रहा है। मैं लोगों से यही अपील करूंगा कि अगर किसी में टीबी के लक्षण दिखाई दे तो वह बिना वक्त गंवाए सरकारी अस्पताल आएं। यहां पर मुफ्त में इलाज तो होगा ही, साथ में राशि भी मिलेगी। इसके उलट निजी अस्पताल में पैसे भी खर्च होंगे और परेशानी भी होगी।
रिपोर्टर
Aishwarya Sinha
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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