-सदर अस्पताल में टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की हुई बैठक
-केएचपीटी ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से बैठक आयोजित की
भागलपुर-
सदर अस्पताल स्थित जिला यक्ष्मा केंद्र में शुक्रवार को कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक आयोजित की। बैठक में 11 इलाजरत मरीज, 10 उनकी देखभाल करने वाले, दो टीबी चैंपियन और सामुदायिक संरचना के दो प्रतिनिधि उपस्थित हुए थे। बैठक में केएचपीटी के दीपक कुमार और सुमित कुमार ने टीबी मरीजों को इलाज के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने के उपाय बताए। इस समाधान में न सिर्फ दवा, बल्कि उसके अलावा शारीरिक गतिविधियां और योग के द्वारा भी उन समस्याओं को समाधान करने के उपाय बताए गए। मरीजों को निश्चय पोषण योजना की राशि मिलने में होने वाली कठिनाइयों का समाधान किया गया। इस बैठक में केयर गिवर के द्वारा मरीजों की देखभाल में हो रही परेशानियों पर भी चर्चा की गई।
केएचपीटी की जिला टीम लीडर आरती झा कहती हैं कि टीबी मरीजों से समाज के लोगों को किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए। लोगों को टीबी मरीजों के इलाज में सहयोग करना चाहिए। अगर हमलोग इलाज में सहयोग करेंगे तो जल्द से जल्द समाज टीबी से मुक्त होगा। इसलिए मरीजों के इलाज के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। जागरूक लोगों को टीबी मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बात करनी चाहिए। मानसिक तौर पर मरीजों का सहयोग करना चाहिए।
जिनके घर में मधुमेह के मरीज, वे रहें सावधानः सीडीओ डॉ. दीनानाथ ने कहा कि आजकल अधिकतर घरों में मधुमेह के मरीज देखे जा रहे हैं। इस वजह से लोग संतुलित आहार लेते हैं। लोग पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं ले पाते हैं। इससे भी लोग टीबी की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए अगर किसी के घर में मधुमेह के मरीज हों तो डॉक्टर से पूछकर अपना आहार तालिका बनाएं, ताकि कुपोषण का शिकार होने से बचें और टीबी जैसी बीमारी से बचाव हो सके।
बच्चों के पोषण पर दें ध्यानः डॉ. दीनानाथ ने बताया कि टीबी को लेकर बच्चों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चे के पोषण में अगर कमी हो जाए तो उसे आसानी से टीबी अपनी चपेट में ले लेता है। इसलिए कम बच्चे ही अच्छे होते हैं। अगर आपके कम बच्चे होंगे तो उसका सही से ध्यान रख पाएंगे। उसके पोषण के प्रति जागरूक रहेंगे और वह टीबी समेत दूसरी बीमारियों से बचा रहेगा।
टीबी के लक्षण
1. दो हफ़्ते या अधिक खांसी आना- पहले सूखी खांसी तथा बाद में बलगम के साथ खून का आना।
2. रात में पसीना आना-चाहे मौसम ठंडे का क्यों न हो।
3. लगातार बुखार रहना
4.थकावट होना
5.वजन घटना
6.सांस लेने में परेशानी होना
बचाव के तरीके
1. जांच के बाद टीबी रोग की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स लें।
2. मास्क पहनें तथा खांसने या छींकने पर मुंह को पेपर नैपकीन से कवर करें।
3.मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें।
4.मरीज हवादार और अच्छी रौशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें।
5. पौष्टिक खाना खाएं। योगाभ्यास करें।
6. बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तम्बाकू, शराब आदि से परहेज करें।
7. भीड़भाड़ वाली गंदी जगहों पर जानें से बचें।
रिपोर्टर
Swapnil Mhaske
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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