टीबी मरीज बीच में दवा नहीं छोड़ें, लगातार करती रहती हैं निगरानी


-कटोरिया के बिलोनी में काम करती हैं आशा कार्यकर्ता प्रतिभा कुमारी

-क्षेत्र में टीबी मरीजों को चिह्नित कर जांच के लिए पहुंचाती हैं अस्पताल


बांका-


 टीबी के मरीजों को न सिर्फ चिह्नित किया जाना जरूरी है, बल्कि बीच में वह दवा खाना बंद नहीं कर दें , यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी का खतरा रहता है। इसलिए जरूरी है कि टीबी के मरीज नियमित तौर पर दवा खाएं। इससे वह जल्द ठीक हो जाएंगे। ऐसा करने के लिए मरीज को तो खुद ध्यान रखना ही पड़ेगा, लेकिन अगर इस काम में घर के सदस्यों के साथ-साथ कोई और लोग भी साथ दे तो इससे काफी मदद मिलती है। ऐसी परिस्थिति में दवा छूटने का सवाल ही नहीं बनता है। कटोरिया के बिलोनी में कार्य करने वाली आशा कार्यकर्ता प्रतिमा कुमारी न सिर्फ टीबी के मरीजों को चिह्नित कर जांच और इलाज के लिए अस्पताल ले जाती हैं, बल्कि अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो जाती है तो तब तक उस मरीज की निगरानी करती हैं, जब तक कि वह ठीक नहीं हो जाएं। इसका फायदा क्षेत्र के लोगों को मिल रहा है। काफी संख्या में क्षेत्र के लोग टीबी से ठीक हो रहे हैं।

राशि दिलाने तक में करती हूं सहयोगः प्रतिभा कुमारी कहती हैं कि टीबी को लेकर हमलोगों को जो जानकारी अस्पताल से मिली है, उसमें सबसे ज्यादा जरूरी है कि कोई बीच में दवा नहीं छोड़े। अगर कोई मरीज ऐसा करता है तो उन्हें काफी परेशानी होगी। स्वस्थ होने में समय लग जाएगा। इसलिए मैं टीबी मरीजों की लगातार निगरानी करती रहती हूं। इसके अलावा टीबी मरीजों को चिह्नित करने का काम तो करती रहती ही हूं। अगर किसी में टीबी के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे अस्पताल लेकर जाती हूं। अगर वहां जांच में टीबी की पुष्टि हो जाती है तो तत्काल उसका इलाज शुरू करवाती हूं। दवा से लेकर राशि दिलाने तक के काम में सहयोग करती हूं। साथ ही लोगों को भी टीबी के लक्षण के बारे में बताती हूं।

टीबी को लेकर जागरूकता बहुत जरूरीः कटोरिया रेफरल अस्पताल के लैब टेक्नीशियन सुनील कुमार कहते हैं कि टीबी को लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है। न सिर्फ जांच और इलाज को लेकर, बल्कि दवा के संबंध में भी। टीबी मरीजों को यह जानना बहुत ही जरूरी है कि अगर बीच में दवा छोड़ते हैं तो उनकी परेशानी बढ़ सकती है। इससे मरीज इस तरह की गलती नहीं करेंगे और नियमित दवा का सेवन कर जल्द स्वस्थ हो जाएंगे। अच्छी बात यह है कि इन बातों को लेकर आशा कार्यकर्ता बेहतर काम कर रही हैं। प्रतिमा कुमारी अपने क्षेत्र में बहुत ही अच्छा काम कर रही हैं। मैं तो लोगों से यही कहना चाहता हूं कि अगर लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, बलगम में खून आए, लगातार बुखार रहे और शाम के वक्त पसीना आए तो बिना कुछ सोचे सरकारी अस्पताल आ जाएं। यहां पर मुफ्त में इलाज होगा। दवा मिलेगी और निजी अस्पताल से बेहतर व्यवस्था मिलेगी।

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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