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--वार्ड सदस्य मो. साबिर समेत कई लोगों का भी इन्हें मिल रहा है समर्थन
-केएचपीटी और स्वास्थ्य विभाग के साथ कंधे से कंधा मिला कर रहे काम
भागलपुर, 16 नवंबर-
समाज को टीबी से मुक्त बनाने में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के साथ आमलोग भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें इस काम में सफलता भी मिल रही है। सबौर प्रखंड की चंदेरी पंचायत के राजपुर गांव के उपमुखिया मो. आसिक अपने क्षेत्र को टीबी से मुक्त बनाने में जोर-शोर से लगे हुए हैं। उन्हें इस काम में वार्ड सदस्य मो. साबिर समेत अन्य लोगों का भी सहयोग मिल रहा है। इसका परिणाम भी बेहतर मिल रहा है। टीबी मरीज चिह्नित हो रहे और उनका इलाज भी चल रहा है।
मो. आसिक कहते हैं कि सितम्बर महीने में हमारे गांव में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) और स्वास्थ्य विभाग के सौजन्य से एक बैठक हुई थी। बैठक के दौरान लोगों को टीबी के प्रति जागरूक किया गया था और गांव को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया । इस दौरान टीबी से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गयी थी। इस पर सभी जनप्रतिनिधियों ने हामी भरी थी। मैंने भी हामी भरी थी। टीबी को खत्म करने के लिए सहयोग देने का आश्वासन दिया था। इसी कड़ी में 12 अक्टूबर को राजपुर गांव में हमलोगों ने टीबी उन्मूलन को लेकर एक बैठक की। इस बैठक में भी सभी सदस्यों का सकारात्मक रवैया रहा। सभी ने बारी-बारी से वार्ड स्तर पर स्क्रीनिंग कैंप की बात कही। साथ ही इसमें सहयोग का भी वादा किया। इसे लेकर एनटीईपी और केएचपीटी की टीम के सहयोग से एक स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया। इसके पहले गांव की गली-गली में जाकर प्रचार किया गया, ताकि अधिक से अधिक लोग स्क्रीनिंग कैंप में भाग ले सकें । इसका फायदा यह हुआ कि 250 लोग स्क्रीनिंग कैंप में पहुंचे। इसमें संभावित 15 मरीज मिले। सभी को केएचपीटी के सहयोग से जांच के लिए सरकारी अस्पताल भेजा गया। जांच में दो लोगों में टीबी की पुष्टि हुई। दोनों का इलाज चल रहा है। मो. आसिक कहते हैं कि समाज को टीबी से मुक्त बनाने में आगे और भी काम करने की इच्छा है।
टीबी को खत्म करने के लिए जागरूकता जरूरीः जिला यक्ष्मा (टीबी) पदाधिकारी डॉ. दीनानथ कहते हैं कि टीबी जैसी बीमारी को खत्म करने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। लोग जितना जागरूक होंगे, उतना ही जल्द टीबी समाज से खत्म होगा। इसलिए जनप्रतिनिधियों का इस काम में आगे आना बहुत ही सकारात्मक कदम है। इससे टीबी मुक्त जिला बनाने मे मदद मिलेगी। टीबी को हम जागरूक होकर ही खत्म कर सकते हैं। अगर टीबी मरीजों का इलाज नहीं होता है तो इसका प्रसार तेजी से होता है, जिससे कई लोगों में संक्रमण का खतरा हो जाता है।
जनप्रतिनिधि भी आ रहे सामनेः केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा कहती हैं कि स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ सहयोगी संस्था तो काम कर ही रही है। अब जनप्रतिनिधि भी सामने आ रहे हैं। हमलोगों का प्रयास है कि टीबी के लक्षण, बचाव और इलाज की जानकारी अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचे। इससे यह होगा कि अगर किसी व्यक्ति में भी टीबी के लक्षण दिखाई देगा तो उसे तत्काल अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा। इसलिए हमलोग लगातार यह कहते रहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो रही हो या बलगम के साथ खून आ रहा हो या फिर लगातार बुखार की शिकायत हो तो तत्काल सरकारी अस्पताल जांकर जांच कराएं। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो सरकार की तरफ से मुफ्त में इलाज होगा।
रिपोर्टर
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Aishwarya Sinha