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- जिला भर में 15 से 21 नवंबर तक मनाया जा रहा है नवजात शिशु सुरक्षा सप्ताह
- नवजात शिशु के बेहतर देखभाल तकनीक के प्रति लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी
मुंगेर, 17 नवंबर नवजात शिशु के जन्म के बाद अगले 28 दिन का समय उसके जीवन व विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। बचपन के किसी अन्य अवधि की तुलना में नवजात शिशु के मृत्यु की संभावना इस दौरान सबसे अधिक होती है। इसलिये ऐसा माना जाता है कि नवजात के जीवन का पहला महीना आजीवन उसके स्वास्थ्य व विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने व अगले छह माह तक शिशुओं के बेहतर देखभाल के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 15 से 21 नवंबर के बीच नवजात सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। इस वर्ष "सुरक्षा, गुणवत्ता और पोषण देखभाल, प्रत्येक नवजात शिशु का है जन्मसिद्ध अधिकार" की थीम नवजात शिशु सुरक्षा सप्ताह का आयोजन जिला भर में किया जा रहा है।
जागरूकता से ही नवजात मृत्यु के मामलों में कमी संभव :
नवजात शिशु सुरक्षा सप्ताह को महत्वपूर्ण बताते हुए अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि जन्म के पहले 28 दिनों में नवजात शिशु मृत्यु के अधिकांश मामले घटित होते हैं। हाल के वर्षों में नवजात शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी आई है। वर्ष 2019 - 20 में जारी एनएफएचएस 05 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में नवजात शिशु मृत्यु दर शहरी क्षेत्र में 27.9 व ग्रामीण इलाकों में 35.2 के करीब है। इसलिये जोखिम के कारणों की पहचान, उसका उचित प्रबंधन नवजात शिशु मृत्यु दर के मामलों को कम करने के लिये जरूरी है। इसलिये नवजात के स्वास्थ्य संबंधी मामलों के प्रति व्यापक जागरूकता जरूरी है।
स्वच्छता, टीकाकरण व उचित पोषण जरूरी -
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार रौशन ने बताया कि प्री-मैच्योरिटी, प्रीटर्म व संक्रमण व जन्मजात विकृतियां नवजात शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। नवजात के स्वस्थ जीवन में नियमित टीकाकरण, स्वच्छता संबंधी मामलों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। जन्म के एक घंटे बाद नवजात के लिये मां का गाढ़ा पीला दूध का सेवन जरूरी करायें। उचित पोषण के लिये छह माह तक मां के दूध के अलावा किसी अन्य चीज के उपयोग से परहेज करें। बच्चों के वृद्धि व विकास को बढ़ावा देने के लिये उचित पोषण महत्वपूर्ण है।
ठंड में नवजात की सेहत का रखें खास ख्याल--
उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। शिशुओं को इस समय अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इसलिये नियमित अंतराल पर स्तनपान कराना जरूरी है। इसके अलावा एक दो दिन के अंतराल पर बच्चे को गुनगुना पानी से नहलाएं, त्वचा की अच्छी से मालिश करें। बच्चे के कपड़ों को हमेशा साफ रखें। शरीर के तापमान को बनाये रखने के लिये त्वचा से त्वचा का संपर्क जरूरी है। इसके लिये कंगारू मदर केयर तकनीक शरीर के सामान्य तापमान को बनाये रखने के लिये सुरक्षित, प्रभावी व वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तरीका है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar