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सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों और लोगों को टीबी के बारे में मिली जानकारी
टीबी के लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में मरीज और परिजनों को मिली जानकारी
भागलपुर, 28 नवंबर
जिले में टीबी को लेकर जागरूकता अभियान तेज है। लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने को लेकर तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं। इसी सिलसिल में सोमवार को सदर अस्पताल में टीबी को लेकर नुक्कड़ नाटक किया गया। इसके जरिये सदर अस्पताल आने वाले मरीजों और परिजनों व अन्य लोगों को टीबी के बारे में बताया गया। नुक्कड़ नाटक के जरिये लोगों को टीबी के लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में जानकारी दी गई। मौके पर पहुंचे सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने बताया कि टीबी का सरकारी स्तर पर बिल्कुल मुफ्त में होता है। जिले के सभी सरकारी अस्पताल में टीबी मरीजों के इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। इसलिए अगर लोगों को लक्षण दिखाई दे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाकर इलाज करवाएं। लोगों के जल्द इलाज कराने से इसका संक्रमण अन्य लोगों में नहीं हो सकेगा। टीबी का इलाज कराकर खुद के साथ समाज के अन्य लोगों की भी मदद करें।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ कहते हैं कि टीबी को लेकर जिले में अभियान तेज है। 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र लगातार प्रयास कर रहा है। इसी सिलसिले में सोमवार को सदर अस्पताल में नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। नुक्कड़ नाटक के जरिये अस्पताल आने वाले लोगों को बताया गया कि अगर लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो या फिर बलगम के साथ खून निकले तो यह टीबी हो सकता है। साथ ही लगातार बुखार रहे या फिर शाम के वक्त पसीना आए तो यह टीबी हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखाई तो नजदीकि सरकारी अस्पताल जाएं। वहां पर आपकी जांच होगी। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो आपका तत्काल इलाज शुरू किया जाएगा। सरकारी अस्पताल में टीबी का इलाज बिल्कुल मुफ्त में होता है। जांच का भी पैसा नहीं लगता है। साथ में दवा भी मुफ्त में मिलती है। इसके अलावा जब तक मरीजों का इलाज चलता है, तब तक उसे पांच सौ रुपये प्रतिमाह की सरकारी सहायता राशि भी पौष्टिक आहार के लिए दी जाती है। इसलिए देर नहीं करें। टीबी के लक्षण दिखे तो तुरंत जांच कराएं।
बीच में नहीं छोड़े टीबी की दवाः कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) की जिला टीम लीडर आरती झा कहती हैं कि नुक्कड़ नाटक के जरिये लोगों को टीबी के प्रति जागरूक तो किया ही गया। साथ में यह सलाह भी दी गई कि बीच में दवा नहीं छोड़ें। टीबी मरीज अगर बीच में दवा छोड़ते हैं तो एमडीआर टीबी का खतरा हो जाता है। एमडीआर टीबी होने पर इलाज लंबा खींच जाता है। मरीजों को भी परेशानी होती है। इसलिए अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो जाती है तो लगातार दवा का सेवन करें। बीच में नहीं छोड़ें। इससे परेशानी हो सकती है। यह बात भी नुक्कड़ नाटक के जरिये लोगों को बताया गया।
रिपोर्टर
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Swapnil Mhaske