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• खान सर की आवाज से एमडीए को मिलेगी गति
• फाइलेरिया पर जन-जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर खान सर ने जतायी सहमति
• सहयोगी संस्थाओं की टीम ने खान सर से की मुलाकात
पटना:
शिक्षा और स्वास्थ्य एक दूसरे की अनुपूरक है. शिक्षक प्रगति की कड़ी को जोड़ने के साथ स्वस्थ्य समाज की बुनियाद मजबूत करने में भी हमेशा से सहयोगी रहे हैं. राज्य के साथ देश के नौनिहालों को शिक्षित करने में जुटे खान सर आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं. जटिल जानकारियों को सरल एवं सुलभ बनाने में जुटे खान सर अब फाइलेरिया उन्मूलन में सहयोग करेंगे. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्थाओं ने खान सर से मुलाकात की. जिसमें उनसे फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 10 फ़रवरी से शुरू होने वाले एमडीए-फाइलेरिया पर लोगों को जागरूक करने की अपील की गयी. खान सर ने इसपर अपनी सहमति व्यक्त की और फाइलेरिया उन्मूलन में सहयोग करने का आश्वासन भी दिया.
सामाजिक उपेक्षा को किया है महसूस:
बैठक में फाइलेरिया रोग पर अपने विचार प्रकट करते हुए खान सर ने बताया कि अभी भी समाज में फाइलेरिया मरीज उपेक्षा का शिकार होते हैं. हाथीपांव के कारण हुयी शारीरिक विकृति उनकी पहचान बन जाती है. विशेषकर ग्रामीण परिवेश में उन्हें कई स्तर पर उपेक्षित होना पड़ता है. उन्होंने बताया कि यह अकाट्य सत्य है कि एक स्वस्थ व्यक्ति ही शिक्षा का सदुपयोग कर सफलता के पथ पर निरंतर आगे बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि वह अपने वीडियो एवं क्लासेज के द्वारा फाइलेरिया एवं एमडीए-फाइलेरिया पर युवाओं के साथ उन्हें सुनने वाले सभी लोगों को जागरूक करेंगे. उन्होंने फाइलेरिया जैसे गंभीर रोगों पर समुदाय को जागरूक करना सामाजिक एवं नैतिक जिम्मेदारी भी बताया.
फाइलेरिया को उपेक्षित रोगों की सूची से निकालना जरुरी:
खान सर से मुलाकात करने पहुंचे विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टेट एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रृंखला में कुल 20 रोगों को शामिल किया गया है. फाइलेरिया भी लंबे समय से नेग्लेक्टेड यानी उपेक्षित रोगों की सूची में शामिल है. उन्होंने फाइलेरिया के लक्षण, कारण, रोकथाम एवं उपचार पर विस्तार से खान सर को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि विश्व के 47 देशों की लगभग 86.3 करोड़ आबादी फाइलेरिया के ख़तरे में है. जबकि बिहार के सभी जिले फाइलेरिया एंडेमिक हैं. उन्होंने बताया कि हाथीपांव फाइलेरिया का सबसे विकराल स्वरूप है जिससे एक सामान्य व्यक्ति कई किलोग्राम के अतिरिक्त वजन अपने पैरों में लादकर जीने पर मजबूर हो जाते हैं. इसकी रोकथाम आसान है. साल में एक बार होने वाले एमडीए-फाइलेरिया में दवा खाने से इसकी रोकथाम संभव है. ऐसा पाँच बार पाँच सालों में दवा खाकर इसकी रोकथाम की जा सकती है.
एमडीए पर जागरूक करने की अपील:
बैठक में उपस्थित बीएमजीएफ के एनटीडी के प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. अमोल पाटिल ने खान सर से राज्य के साथ देश में एक साथ 10 फरवरी से शुरू होने वाले एमडीए राउंड के विषय में युवाओं, विद्यार्थियों एवं आम लोगों को जागरूक करने की अपील की. वहीं, केयर इण्डिया से एनटीडी के टीम लीड विकास सिन्हा ने कहा कि 10 फ़रवरी से राज्य के 24 जिलों में एमडीए-फाइलेरिया यानी सर्वजन दवा सेवन कराया जाएगा. यदि खान सर जैसे शख्सियत इस पर लोगों को जागरूक करते हैं तो एमडीए अभियान को अधिक सफल बनाया जा सकेगा.
इस दौरान केयर इण्डिया से बासब रुज, पीसीआई से रणपाल एवं सीफ़ार से रंजीत भी उपस्थित थे
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Aishwarya Sinha